SWAMI VIVEKANANDA

SWAMI VIVEKANANDA
Come up, O lions, and shake off the delusion that you are sheep; you are souls immortal, spirits free, blest and eternal; ye are not matter, ye are not bodies; matter is your servant, not you the servant of matter.

Friday, July 8, 2011

स्वतंत्रता दिवस की पुकार / अटल बिहारी वाजपेयी

पन्द्रह अगस्त का दिन कहता -
आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाक़ी हैं,
रावी की शपथ न पूरी है॥

जिनकी लाशों पर पग धर कर
आजादी भारत में आई।
वे अब तक हैं खानाबदोश
ग़म की काली बदली छाई॥

कलकत्ते के फुटपाथों पर
जो आंधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पन्द्रह अगस्त के
बारे में क्या कहते हैं॥

हिन्दू के नाते उनका दुख
सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो
सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥

इंसान जहाँ बेचा जाता,
ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है,
डालर मन में मुस्काता है॥

भूखों को गोली नंगों को
हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कण्ठों से जेहादी
नारे लगवाए जाते हैं॥

लाहौर, कराची, ढाका पर
मातम की है काली छाया।
पख़्तूनों पर, गिलगित पर है
ग़मगीन ग़ुलामी का साया॥

बस इसीलिए तो कहता हूँ
आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं?
थोड़े दिन की मजबूरी है॥

दिन दूर नहीं खंडित भारत को
पुनः अखंड बनाएँगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक
आजादी पर्व मनाएँगे॥

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से
कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएँ,
जो खोया उसका ध्यान करें॥

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